सेठ का आदेश (Seth Ka Aadesh- Mulla Nasruddin Ki Kahani): यह कहानी मुल्ला नसरुद्दीन के बचपन की है। मुल्ला नसरुद्दीन को बचपन से ही काम करना पड़ा। क्योंकि उसके घर की माली हालत ठीक नहीं थी। गरीबी इंसान को जरूरत तथा समय से पहले ही परिपक्व और समझदार बना देता है। यह बात मुल्ला नसरुद्दीन पर बिल्कुल सटीक बैठता है।
बात उन दिनों की है, जब मुल्ला एक सेठ के घर पर छोटे-मोटे तथा साफ-सफाई का काम किया करता था। इसके एवज में वह मुल्ला को भोजन तथा कपड़े दे देता था। मगर जहां वेतन की बात होती थी, वह आनाकानी करने लगता था। हद तो तब हो जाती जब वह साल के अंतिम महीनों में उसका हिसाब करता था। यही नहीं, वह इसी फिराक में रहता कि किसी तरह वह उसके वेतन को ना दें या फिर काट छांट कर दे। ऐसा वह मुल्ला को बच्चा तथा कमजोर समझ कर करता था।

सेठ का आदेश – मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी | Seth Ka Aadesh- Mulla Nasruddin Ki Kahani
हद तो तब हो गई जब वर्ष के अंतिम दिनों में मुल्ला को सुबह-सवेरे ही बुला लिया गया। यह कह कर कि यह साल का अंतिम दिन है, घर की अच्छे से साफ-सफाई करनी है। सेठ, मुल्ला से बोला- मुल्ला, तुम घर की अच्छे से साफ-सफाई कर देना। परंतु सफाई करते समय यह ध्यान रखना कि पानी की एक बूंद भी खर्च ना हो। मगर एक बात गौर फरमाना की सफाई करने के बाद आंगन गीला लगना चाहिए। ऐसा नहीं करने या मुझे असंतुष्ट करने पर तुम्हारी इस साल की तनख्वाह काट ली जाएगी। ऐसा भी हो सकता है कि तुम्हें नौकरी से निकाल दिया जाए।
इतना कह कर सेठ नए साल की तैयारी के लिए बाजार से सामान खरीदने चला गया।
मुल्ला बिना किसी चिंता के सेठ के घर की साफ-सफाई करने लगा। पूरा घर साफ करने के बाद वह आंगन की सफाई करने लगा। इसके बाद वह सेठ के गोदाम में गया और तेल का कनस्तर उठा लाया। उसने कनस्तर का तेल पूरे आंगन में फैला दिया। इसके बाद वह एक कोने में बैठकर सेठ का इंतजार करने लगा।
कुछ ही देर में सेठ बाजार से लौटा। आंगन की हालत देख कर वह आग बबूला हो गया। गुस्से में वह मुल्ला को बहुत भला-बुरा बोला और बदले में सेठ मुल्ला से तेल का हर्जाना भी मांगा।
मुल्ला बहुत ही शांत स्वर में बोला- आप गुस्सा ना करें सेठ जी! मैंने तो आप के आदेश का पालन किया है। जरा गौर से देखिए, क्या मैंने आपकी आंगन की सफाई करने में एक बूंद भी पानी खर्च किया है? लेकिन फिर भी यह गीला है।
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मुल्ला की बात सुनकर सेठ हतप्रभ रह गया। सेठ को कुछ कहते नहीं बन पा रहा था। मगर मुल्ला अपनी बात बड़ी ही शांति और गंभीरता से कहता गया। सेठ जी, आपके कहे अनुसार ही मैंने काम किया है। इसलिए मुझे मेरा वेतन पूरा दे दीजिए।
अब बात रह गई आपके घर में काम करने की तो, आप लाख मुझे कहें मैं आपके यहां अब कोई काम नहीं करने वाला।
सेठ के पास कोई जवाब नहीं सूझ रहा था। उसे मुल्ला को पूरा वेतन देना पड़ा। साथ-ही-साथ वह यह सोच कर अपने ऊपर खीझ रहा था कि इतना ईमानदार लड़का मेरे हाथ से निकल गया।
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