संज्ञा और सर्वनाम में अंतर | Sangya Aur Sarvnam Mein Antar

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संज्ञा और सर्वनाम में अंतर (Sangya Aur Sarvnam Mein Antar)

Sangya Aur Sarvnam Mein Antar
Sangya Aur Sarvnam Mein Antar

संज्ञा की परिभाषा

संज्ञा किसी व्यक्ति, वस्तु, व स्थान भाव आदी के नाम को कहते हैं। अर्थात नाम को संज्ञा कहते हैं। जैसे- हिमालय, मीरा, गीता, पटना, खुशी, मिठास, बुढ़ापा, अमीरी आदि।

संज्ञा के पांच भेद होते हैं।

  1. जातिवाचक संज्ञा (Common noun)
  2. व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper noun)
  3. समूहवाचक संज्ञा (Collective noun)
  4. भाववाचक संज्ञा (Abstract noun)
  5. द्रव्यवाचक संज्ञा (Material noun)

संज्ञा के उदाहरण असंख्य है। क्योंकि नाम ही संज्ञा है।
संज्ञा लिंग का निर्धारण करती है। जैसे- राम, गीता।

सर्वनाम की परिभाषा

सर्वनाम उसे कहते हैं, जो शब्द संज्ञा के स्थान पर उपयोग किया जाता है। जैसे- मैं, तुम, वह, यह, तुम्हारा, आप आदि।
सर्वनाम के छह भेद होते हैं।

  1. पुरुषवाचक सर्वनाम
  2. अनिश्चयवाचक सर्वनाम
  3. निश्चयवाचक सर्वनाम
  4. संबंधवाचक सर्वनाम
  5. निजवाचक सर्वनाम
  6. प्रश्नवाचक सर्वनाम

सर्वनाम के उदाहरण सीमित है।
सर्वनाम से लिंग का निर्धारण नहीं होता है। जैसे- मैं, तुम, वह।

संज्ञा और सर्वनाम में अंतर | Sangya Aur Sarvnam Mein Antar

संज्ञासर्वनाम
संज्ञा किसी व्यक्ति, वस्तु, व स्थान भाव आदी के नाम को कहते हैं। अर्थात नाम को संज्ञा कहते हैं।सर्वनाम उसे कहते हैं, जो शब्द संज्ञा के स्थान पर उपयोग किया जाता है।
संज्ञा के पांच भेद होते हैं।सर्वनाम के छह भेद होते हैं।
संज्ञा के उदाहरण असंख्य है। क्योंकि नाम ही संज्ञा है।सर्वनाम के उदाहरण सीमित है।
संज्ञा लिंग का निर्धारण करती है। जैसे- राम, गीता।सर्वनाम से लिंग का निर्धारण नहीं होता है। जैसे- मैं, तुम, वह।

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