हिंदी कहानी – मीरा और परी की कहानी | Meera and Fairy Story in Hindi
मीरा और परी की कहानी । Meera and Fairy Story in Hindi |
हिंदी कहानी – मीरा और परी की कहानी
एक बार मीरा की माँ की तबियत अचानक ख़राब हो गई। घर की जमा पूँजी और रुपया-पैसा धीरे-धीरे बीमारी में सब ख़त्म होने लगी। इस बात से मीरा घबरा गई, परन्तु उसने हिम्मत नहीं हारी।
मीरा रोज स्कूल जाती। स्कूल से लौटकर वह माँ और घर की देख-रेख करती। उसके बाद वह चूड़ियाँ एक थैला में रखकर बेचने चली जाती। गली-गली घूमकर चूड़ियाँ बेचने से वह थक जाती थी।
एक दिन जब मीरा चूड़ियाँ बेचकर थक गई तो वह हमेशा की तरह उस पेड़ के पास आराम करने के लिए बैठ गई। ठंढी हवा बह रही थी। ठंढी हवा के कारण उसकी आँख लग गई। जब उसकी नींद खुली तो शाम हो गई थी।
मीरा और परी की कहानी । Meera and Fairy Story in Hindi |
मीरा अगले दिन सीधा उस पेड़ के पास गई। काफी इंतजार के बाद भी वहाँ कोई नहीं आया। इंतजार करते-करते मीरा उस पेड़ के नीचे सो गई।
मीरा जब नींद से जागी तब वह जल्दी-जल्दी घर की ओर बढ़ गई। मीरा घर आकर थैला में रखी उन चूड़ियों को अनायास ही देखने का मन किया। ज्योहीं वह उस थैला में से चूड़ियाँ निकाली।
मीरा के होश उड़ गये। चूड़ियाँ पहले से भी ज्यादा खुबसूरत और आकर्षक थें। थैला भी चूड़ियों से भरा हुआ था। मीरा को कुछ समझ नहीं आ रहा उसके साथ क्या हो रहा है।
यह बात वह अपनी माँ को बताना चाही। परन्तु वह यह सोचकर रुक गई की उसकी बीमार माँ और भी परेशान हो जाएगी। मीरा इस बात का पता खुद लगाना चाही कि आखिर यह सुंदर चूड़ियाँ उसके थैले में कहाँ से आती हैं।
उस रात वह अपनी माँ को कुछ भी बताए बिना खा-पीकर सो गई। अगले दिन स्कूल से लौटकर फिर से वह चूड़ियों की थैला लेकर उसी पेड़ के पास बैठ गई और थोड़ी देर बैठने के बाद सोने का नाटक कर लेटी रही।
थोड़ी देर बाद उसके थैले से चूड़ियों की खन-खन की आवाज़ आ रही थी। मीरा अंदर ही अंदर डर रही थी। वह हल्की सी आँख खोलकर देखा तो एक युवती उसके थैला में देख रही है।
उसके बाद वह युवती एक सुंदर परी बनकर वहाँ से गायब हो गई। मीरा डर के मारे उस थैला को उठाकर घर चली गई। मीरा बहुत घबराई हुई थी। मीरा ने इस बार भी यह घटना अपनी बीमार माँ को नहीं बताई। वह अपनी माँ को परेशान नहीं करना चाहती थी।
मीरा इस परेशानी से खुद ही बाहर आने का उपाय सोचने लगी। उसने तुरंत एक पत्र लिखा – पत्र में मीरा ने लिखा कि आप जो भी है आपने मेरी बहुत मदद की है आपकी इस मदद के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। परन्तु अब आप मेरे लिए मदद करने का कष्ट न उठायें।
आपके इस मदद के द्वारा मेरे पास बहुत धन जमा हो गया है और इस धन से मैं अपनी माँ के लिए एक छोटी सी दूकान खोल दूँगी। जिससे मेरी माँ को गली-गली घूमकर चूड़ी नहीं बेचनी पड़ेगी।
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मीरा यह पत्र लिखकर चूड़ियों के थैला में रख दिया। अगले दिन फिर से वह उस पेड़ के पास गई और थैला को पास में रखकर सोने का नाटक कर लेट गई।
थोड़ी देर बाद वह युवती आई और थैला में एक पत्र देखकर उसे पढने लगी। पत्र पढ़कर वह युवती उस पत्र को वैसे ही उस थैला में रख दिया। पत्र पढ़कर वह युवती मीरा के बालमन पर मुग्ध हो कर आशीर्वाद दिया और परी के रूप में आकर अंतर्ध्यान हो गई।
मीरा अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त कर अब कॉलेज में चली गई थी। मीरा की माँ के पास अब एक चूड़ी की बड़ी सी दूकान थी। जो अपने नगर में काफी मशहूर थी।
मीरा को वह भली परी कभी भी उस पेड़ के पास दिखाई नहीं देती। मीरा को जब भी उस भली परी की याद आती उस पेड़ के पास बैठ जाती। मीरा को ऐसा महसूस होता कि वह भली परी आज भी उस पेड़ के पास आशीर्वाद देने आती है। मीरा की चूड़ियों की थैला आज भी चमकीली और सुंदर चूड़ियों से भरी रहती हैं।