हिंदी कहानी – नदी और पहाड़ | Hindi Kahani – Nadi Aur Pahad
यह कहानी एक नदी और पहाड़ की है। नदी और पहाड़ दोनों एक-दूसरे को बहन और भाई की तरह मानते थे। दोनों एक-दूसरे के साथ प्यार से मित्रवत् रहते थे। नदी अपने स्वभाव के अनुसार चंचल थी। मगर पहाड़ भोला-भाला था।
हिंदी कहानी – नदी और पहाड़
हिंदी कहानी – नदी और पहाड़ Hindi Kahani – Nadi Aur Pahad |
एक बार पहाड़ ने देखा कि उसकी बहन कुछ दिनों से गुमसुम सी रहने लगी थी। जहाँ तक हो सके पहाड़ ने नदी को हमेशा ही चंचल और खुश देखा था। पर इधर कुछ दिनों से वह ज्यादा बात भी नहीं करती थी और चुप-चाप से अपने रास्ते चली जाती थी।
यह सब देखकर पहाड़ को कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। पहाड़ ने नदी से उसकी उदासी और परेशानी का कारण जानना चाहा। वह नदी को रोककर पूछा- नदी बहन तुम कुछ दिनों से मुझे उदास और परेशान दिख रही हो।
सब कुछ ठीक तो है न? नदी ने कहा- हाँ, पहाड़ भैया मैं सच में दुखी हूँ। परन्तु मैं यह बात तुमसे कहने में संकोच कर रही थी। मगर जब तुमने यह बात पूछ ही लिया है तब मैं बता ही देती हूँ। पहाड़ बोला-तुम निःसंकोच बोलो। मैं अगर तुम्हारी परेशानी को दूर कर सकता हूँ तो अवश्य दूर करूँगा।
नदी बोली कि उसे पहाड़ से होकर गुजरने में, ऊँचें-नीचे चट्टानों से होकर बहने में पूरा शरीर दर्द करने लगता है। वह बोली कि मेरी यह इच्छा हैं कि मैं बिना रुकावट के आराम से बहती रहूँ।
पहाड़ बोला- नदी बहन मैंने तुम्हे अपनी बहन माना है। इसलिए मैं तुम्हारी यह परेशानी जरुर दूर करूँगा। तुम इस बात की चिंता नहीं करो।
पहाड़ ने तुरंत नदी के लिए सीधी और सरल राह बनाने में लग गया। इसके लिए उसे अपने कई चट्टानों को अपने से अलग करना पड़ा परन्तु वह इसके बारे में बिना सोचे नदी के लिए आरामदायक रास्ता बना दिया।
सीधी और आरामदायक रास्ता देखकर नदी फूली नहीं समायी और गाते गुन-गुनाते ख़ुशी से लहराते हुए बहती चली गई।
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जैसे ही अँधेरा हुआ और रात हुई तो नदी को किसी की दर्द से कराहने की आवाज सुनाई देने लगी। वह समझ नहीं पा रही थी कि यह आवाज कहाँ से आ रही है। परन्तु सुबह होते ही यह आवाज गायब हो जाती।
नदी को यह आवाज रात को ही सुनाई पड़ती और दिन में गायब हो जाती। नदी यह बात जानने के लिए पहाड़ के पास गई और बोली कि पहाड़ भैया मुझे रोज रात में किसी की दर्द भरी आवाज आती है। इसके बारे में आपको कुछ जानकारी है? पहाड़ कुछ नहीं बोल रहा था।
पहाड़ को कुछ भी नहीं बोलता देख नदी उसे छुकर बोली बताओ न भैया इसके बारे में कुछ पता है आपको? नदी ने जैसे ही पहाड़ को छुआ वह दर्द से कराहने लगा। पहाड़ को कराहते सुनकर वह समझ गई कि रात में आने वाली कराहने की आवाज पहाड़ की ही है।
नदी को बात समझते जरा भी देर नहीं लगी कि पहाड़ के दर्द का कारण वह स्वयं है। नदी को अपने-आप पर पछतावा हो रहा था कि वह बिना सोचे-समझे पहाड़ के सामने अपनी जरा सी सहूलियत के लिए उसे इतना बड़ा कष्ट दे दिया।
नदी को अपनी गलती का अहसास हुआ और पहाड़ से माफी भी माँगी।