हिंदी कहानी – बकरा राजा | Hindi Kahani – Goat King
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बकरा राजा – Goat King – Hindi Kahani |
हिंदी कहानी – बकरा राजा
बकरा राजा : चित्रकूट जंगल का राजाशेरअपनी प्रजा का बहुत ख्याल रखता था। वह अपनी प्रजा से बहुत प्यार और उसके हर सुख–दुख में शामिल होता था।
प्रजा भी ऐसा राजा पाकर बहुत खुश थी। जंगल का राजा शेर काफी दिनों से अपने आप को थका–थका सा महसूस कर रहा था। वह कुछ दिनों के लिए सब काम–धाम छोड़कर आराम करना चाहता था।
परन्तु वह ऐसा नहीं कर पा रहा था। उसे अपनी प्रजा का ध्यान आ जाता था। वह मन ही मन सोचता कि उसके पीछे उसकी प्यारी प्रजा की देखभाल करने वाला कोई नहीं है।
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तभी उसके मन में विचार आया। शेर ने जंगल में ऐलान करवा दिया कि जो कोई भी प्रजा, राजा शेर की शर्तों पर खड़ा उतरेगा उसे कुछ दिनों के लिए राजा का उत्तराधिकारी घोषित किया जायेगा और जंगल का राजा बना दिया जायेगा।
क्योंकि राजा शेर को आराम की सख्त जरुरत है, ऐसे में उसकी प्रजा की देखभाल के लिए एक राजा की आवश्यकता है, जो उसकी प्रजा का ध्यान भली–भांती कर सके।
चित्रकूट जंगल की प्रजा राजा बनने के लिए अपना–अपना भाग्य आजमाने शेर राजा के पास जाते। परन्तु कोई भी प्रजा राजा को संतुष्ट नहीं कर पाए। राजा बहुत चिंतित हो गया। वह सोचता कि यह राज – पाट किसके हाथों में सौंपकर आराम करने के लिए जाए।
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यह बात जानकर की कोई भी प्रजा राजा की शर्तों पर खड़ा नहीं उतरा है, बकरा भी अपना भाग्य आजमाने राजा के पास गया।
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बकरा राजा – Goat King – Hindi Kahani |
शेर के पास जाकर बकरा ने अपना सिर झुकाकर प्रणाम किया और राजा को अपनी शर्त बताने को कहा।
शेर अविश्वास के साथ भारी भरकम शरीर वाले बकरा से पूछा–
शेर ने पहली शर्त रखी –
- मेरे पीछे जंगल का ध्यान कौन रखेगा?
बकराने जवाब दिया – में … में … हुज़ूर
शेर ने दूसरी शर्त रखी –
- जंगल में सभी जानवरों का सुख–दुख का ख्याल कौन रखेगा?
बकराने जवाब दिया – में … में … हुज़ूर
शेर ने तीसरी शर्त रखी –
- जंगल में होने वाली अच्छी और बुरी घटनाओं की जिम्मेदारी कौन लेगा?
बकराने जवाब दिया – में … में … हुज़ूर
शेर बहुत खुश हो गया। आखिरकार शेर को अपना उत्तराधिकारी मिल गया था। शेर ने बकरा को राजा घोषित कर दिया और स्वयं कुछ दिनों के लिए आराम करने के लिए अपनी गुफा में चला गया।
इधर, बकरा भी राजा बनकर बहुत खुश हो गया और अपने–आप को सराहने लगा । बकरा खुद को जंगल का राजा पाकर घमंडी हो गया था। वह जंगल की प्रजा का जरा–सा भी ध्यान नही रखता था बल्कि सभी प्रजाओं को अपनी सेवा में हमेशा हाज़िर रहने के लिए कहता था। अगर ऐसा कोई प्रजा नही करता तो वह उसे दंड भी देता था।
बकरा राजा जंगल का भी ध्यान नही रखता था। वह प्रजा का दुःख भी नही सुनता था। पूरी प्रजा बकरा राजा को पाकर बहुत दुखी थी। चित्रकूट जंगल की प्रजा अब अपने राजा शेर का जल्दी–से–जल्दी आने के लिए प्रार्थना करने लगे।
उधर, शेर आराम पाकर स्वयं को तरो–ताज़ा महसूस करने लगा। वह अपने जंगल जाने का विचार कर जंगल की तरफ मुड़ गया। जंगल जाकर शेर ने देखा कि उसकी प्रजा दु:खी है, जिधर जाता उधर अशांती और मायूसी छाई हुई थी।
शेर तुरंत बकरा राजा के पास गया और बोला – तुमने राजा होने का उत्तरदायित्व पूरा नही किया है। तुमने अपने अधिकारों का सही उपयोग नही किया है। इसकी तुम्हें सजा मिलेगी।
बकरा शेर की बात सुनकर दृढ़ता से शेर को खरी–खोटी सुना दी और इस राजा की सिंहासन को हमेशा के लिए भूल जाने के लिए कहा। शेर को बकरा के इस दुर्व्यवहार पर बहुत क्रोध आया, परन्तु शेर ने उसे दंडित न कर बल्कि सही समय आने का इंतजार कर वहाँ से चला गया।
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बकरा राजा – Goat King – Hindi Kahani |
दूसरी ओर जब भेड़ियों को जब इस बात का पता चला की जंगल का राजा बकरा बन बैठा है तो उसने तुरंत जंगल पर आक्रमण कर दिया। भेड़ियों के आक्रमण होने से जंगल की प्रजा भागते हुए बकरा राजाके पास आए अपने प्राणों की रक्षा के लिए।
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लेकिन बकरा राजाने मदद करने से साफ़ इंकार कर दिया और कहा – अपने प्राणों की रक्षा खुद करो। बकरा स्वयं भी बहुत डरा–सहमा था।
इतने में भेड़िया बकरा के पास आ गया और जैसे ही उसे अपना शिकार बनाना चाहा वैसे ही तुरंत वहाँ शेर आ गया बकरा और अपनी प्रजा के रक्षा के लिए। शेर को देखकर सभी भेड़िया वहाँ से नौ-दो-ग्यारह हो गए।
अपने बीच शेर को पाकर चित्रकूट जंगल की प्रजा बहुत खुश हो गई। बकराअपने द्वारा किए गए शेर के साथ दुर्व्यवहार पर बहुत शर्मिंदा हुआ और इसके लिए माफ़ी भी माँगी। राजा शेर ने भी अपनी उदारता दिखाते हुए बकरा को माफ़ कर दिया।
शिक्षा :हमें अपनी सफलता का घमंड नहीं करना चाहिए और अपने कर्तव्यों का पूरी ईमानदारी से निर्वहन करना चाहिए। तभी हम अपनी सफलता को बरक़रार रख सकते हैं ।