Table of Contents
Global Warming in Hindi
Global Warming in Hindi : वर्तमान समय में मनुष्य अपने अनगिनत महत्वाकांक्षाओं को प्राप्त करने की लगातार कोशिश करता रहता है। जिसकी वजह से वह जाने-अनजाने हमेशा प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करता रहता है। प्रकृति अपने साथ होने वाली छेड़छाड़ से असंतुलित हो जाती है। जिसके कारण हमारी धरती को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। विभिन्न समस्याओं में से ग्लोबल वार्मिंग भी एक प्रमुख समस्या है। जो अपने जड़े लगातार मजबूत करती जा रही है।
ग्लोबल वार्मिंग, जिसका अर्थ है “भूमंडलीय ऊष्मीकरण” यह समस्या सिर्फ भारत देश की ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की समस्या बनती जा रही है। ग्लोबल वार्मिंग में यह होता है कि हमारी धरती सूरज की हानिकारक किरणों को लगातार अवशोषित करती रहती है। जिसके कारण धरती का तापमान दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। धरती पर होने वाली हर घटनाक्रम पर यह अपना दुष्प्रभाव छोड़ रहा है। गर्मी का मौसम अपने मूल तापमान से अधिक गर्म हो रहा है।
ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से निपटना धरती के सभी लोगों का कर्तव्य है। ताकि हम अपने आने वाली पीढ़ियों को इस भयानक समस्या से बचा सके। इस समस्या को दूर करने के लिए विश्व भर के देश काफी प्रयासरत हैं। आइए हम इसके बारे में और अधिक विस्तार से जाने-
भूमंडलीय ऊष्मीकरण का अर्थ और परिभाषा
Global Warming in Hindi : भूमंडलीय ऊष्मीकरण को ग्लोबल वार्मिंग भी कहते हैं। जिसका अर्थ होता है, धरती का गर्म होना। धरती के वातावरण और महासागर की औसत तापमान में बीसवीं सदी से ही हो रही लगातार वृद्धि और उसकी अनुमानित निरंतरता ही ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) है। सरल शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि धरती के तापमान में निरंतर हो रही विश्वव्यापी बढ़ोतरी तथा इसके कारण मौसम पर होने वाले दुष्प्रभाव या परिवर्तन को ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं।
हमारी धरती सूर्य से मिलने वाली किरणों से ऊष्मा प्राप्त करती है। यह किरणें धरती के बाहरी आवरण जिसे वायुमंडल कहते हैं, से होकर गुजरती है तथा धरती के सतह से टकराने के बाद वह किरणें परावर्तित होकर वापस वायुमंडल के बाहर चली जाती है। परंतु वायुमंडल में मौजूद कुछ गैसे, जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरोकार्बन, जिसे ग्रीनहाउस गैस भी कहते हैं। यह गैसे सूर्य से प्राप्त ऊष्मा को परावर्तित नहीं होने देते हैं। वह अपने अंदर ही सोख लेते हैं। जिसे ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं। जिसकी वजह से धरती का वातावरण का तापमान बढ़ जाता है।
ग्लोबल वार्मिंग के प्रमुख कारण
ग्लोबल वार्मिंग के प्रमुख निम्नलिखित कारण हैं-
ग्रीन हाउस गैस या प्रभाव
धरती पर ग्रीन हाउस गैसें काफी मात्रा में लगातार बढ़ रही है। यह सभी गैसे एक साथ मिलकर वायुमंडल के ऊपर एक परत बना लेती हैं। जिसकी वजह से धरती पर आने वाली किरणें वापस परावर्तित नहीं हो पाती है। यह गैसे सूर्य की किरणों को अपने अंदर सोख लेती हैं। जिसके कारण वायुमंडल गर्म हो जाता है। वायुमंडल गर्म होने से धरती का सतह भी लगातार गर्म होता रहता है।
ग्रीन हाउस गैसों में सबसे प्रमुख गैस, कार्बन डाइऑक्साइड गैस है। कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रत्येक जीवित प्राणी चाहे वह जानवर हो या मनुष्य सभी अपने श्वसन क्रिया के दौरान बाहर निकालते हैं। धरती पर सबसे ज्यादा इसी कार्बन डाइऑक्साइड गैस की अधिक मात्रा में बढ़ोतरी हुई है।
विभिन्न क्षेत्रों से ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन होता है। वह क्षेत्र है-
पावर प्लांट, यातायात एवं गाड़ियों से, औद्योगिक इकाइयों से, खेती के उत्पादनओं से, जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला के इस्तेमाल से, कूड़ा कचरा जलाने से, अत्यधिक ठंडे प्रदेशों में उन फसलों और पेड़-पौधों के उपजाने में जिन्हें गर्मी की ज्यादा आवश्यकता होती है। उसके लिए ग्रीनहाउस गैस का इस्तेमाल किया जाता है। सबसे अधिक पावर प्लांट से 1.3 प्रतिशत गैस उत्सर्जित होता है।
पेड़ पौधों की कटाई
धरती पर CO2 का बढ़ने का प्रमुख कारण जंगल तथा पेड़ पौधों को काटना है। हम उतनी मात्रा में पेड़-पौधों को नहीं लगा रहे हैं जितनी मात्रा में उनकी कटाई कर रहे हैं। मनुष्य अपनी सुविधा के लिए जंगलों को सफाया कर रहा है। यही जंगल और पेड़-पौधे CO2 गैस को अवशोषित कर हमारे वायुमंडल को सामान्य और जीवन के लायक बनाता है। मनुष्य इन पेड़-पौधों को काटकर वातावरण को अत्यधिक गर्म बना रहा है।
अत्यधिक गर्मी के कारण ग्लेशियर का बर्फ पिघल रहा है। जिसकी वजह से समुद्र के जल स्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। समुद्र का जल-स्तर बढ़ना मानव जीवन के लिए घातक है। जल-स्तर बढ़ने के से विश्व के कई देश जलमग्न हो सकते हैं। समुद्र के किनारों पर बसे देश को इसका सबसे अधिक खतरा है।
प्रदूषण
जैसे-जैसे जंगल तथा पेड़-पौधे को हम काटते हैं, वैसे-वैसे प्रदूषण में भी बढ़ोतरी होती है। प्रदूषण बढ़ना भी वायुमंडल के तापमान को बढ़ाता है। प्रदूषण में कई तरह की हानिकारक गैसे होती हैं जो वायुमंडल को लगातार गर्म बनाता रहता है। पेड़-पौधे कम होने की वजह से कार्बन डाइऑक्साइड गैस वातावरण में बरकरार रहता हैं, जो वायुमंडल को गर्म रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
जनसंख्या में वृद्धि
जनसंख्या में हो रही लगातार वृद्धि के कारण भी ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। क्योंकि जीवित प्राणी अपने श्वसन क्रिया के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड गैस का उत्सर्जन करते हैं। जलवायु परिवर्तन से जुड़ी सभी जानकारियों का विश्लेषण करने की संस्था आईपीसीसी है। एक रिपोर्ट के अनुसार 90% योगदान मानव द्वारा उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड गैस है।
औद्योगिकीकरण
पूरे विश्व में औद्योगिकीकरण पर जोर दिया जा रहा है। पेड़-पौधों को काटकर वहाँ पर नए उद्योग स्थापित किए जा रहे हैं। इन उद्योगों से कई प्रकार के गैस उत्सर्जित होती है। जो वायुमंडल में गर्मी को बढ़ाती है।
ओजोन परत में छिद्र होना
हमारे वायुमंडल के चारों ओर ओजोन की एक परत है। जो सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों (अल्ट्रावायलेट रे) को वायुमंडल में आने से रोकती है। वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैस क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) के बढ़ने से ओजोन परत में छेद हो गई है। जिसकी वजह से सूर्य से आने वाली हानिकारक किरणें हमारे वायुमंडल में प्रवेश कर रहे हैं। जो वायुमंडल में गर्मी के बढ़ोतरी में अहम भूमिका निभाते हैं।
कीटनाशक
कृषि प्रधान देशों में खेतों में कीटनाशक का इस्तेमाल भी ग्लोबल वार्मिंग का एक प्रमुख कारण है। खेतों में फसलों को नुकसान से बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव किया जाता है। इन दवाइयों से निकलने वाली गैस, जैसे मिथेन, नाइट्रस ऑक्साइड वायुमंडल में ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग का सबसे सशक्त और सबसे पहले जो दुष्प्रभाव दिखाई पड़ता है, वह है वायुमंडल का अत्यधिक गर्म होना। अत्यधिक गर्म वातावरण से जीवन में कई प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से मौसम चक्र को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। मौसम की अनियमितता जैसे देर से ठंडी आना, गर्मी ज्यादा पढ़ना, वर्षा समय पर ना होना, इन सारे दुष्प्रभावों को झेलना पड़ रहा है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण धरती अत्यधिक तपने लगती है। गर्मी की अधिकता के कारण जमीनें बंजर होने लगती हैं। पेड़-पौधे सूखने लगते हैं। जंगलों में आए दिन आग लगने की घटनाएं होती रहती है।
ग्लोबल वार्मिंग हमें चारों तरफ से अपने चपेट में ले रहा है। वायु प्रदूषण में भी बढ़ोतरी हो रहा है। अत्यधिक गर्मी के कारण CO2 गैस की अधिकता तथा ऑक्सीजन गैस की कमी हो रही है। जिससे श्वसन संबंधी बीमारियाँ भी पनप रही है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर का बर्फ पिघल लगातार पिघल रहा है। जिससे समुद्र के जल-स्तर में बढ़ोतरी हो रही है। समुद्र के किनारे बसे देशों को जलमग्न होने का डर है। ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming in Hindi) की वजह से समुद्र का पानी भी गर्म हो रहा है। जिसका बुरा प्रभाव जल में रहने वाले जलीय जंतु पर पड़ रहा है।
ग्लोबल वार्मिंग वर्षा के अनियमितता को भी बढ़ाता है। जिसकी वजह से कहीं ज्यादा वर्षा तो कहीं सूखा जैसी समस्या को झेलना पड़ रहा है। जिसका कुपरिणाम फसलों को भी उठाना पड़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ओजोन परत में कमी आ रही है। ओजोन परत में कमी होने से त्वचा संबंधी बीमारियों में वृद्धि हो रही है।
ग्लोबल वार्मिंग के दुष्परिणाम
ग्लोबल वार्मिंग के कारण धरती का वातावरण अधिक गर्म हो रहा है। जो मानव तथा अन्य जीव प्राणियों के लिए भी घातक सिद्ध हो रहा है। वैज्ञानिकों के सर्वेक्षण के बाद जो निष्कर्ष निकला है वह यह है कि ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बीसवीं शताब्दी के मुकाबले 21वीं शताब्दी में धरती का तापमान 3 डिग्री से 8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। इस तरह की परिस्थिति में ग्लेशियर का बर्फ पिघल कर पानी बन जाना निश्चित है। ग्लेशियर के पानी बनने से समुद्र का जल स्तर ऊपर उठ जाएगा जिसके कारण संसार के कई देश जलमग्न हो जाएंगे।
मानव जीवन तथा धरती के अन्य प्राणियों के लिए यह एक तबाही और बर्बादी लेकर आएगा। इस तबाही को किसी विश्व युद्ध से भी तुलना नहीं कर सकते। विश्वयुद्ध के बाद भी जीवन की कल्पना कर सकते हैं। मगर यह एक ऐसी स्टेरॉयड की तरह होगा जो पृथ्वी के तुलना में कई गुना बढ़ा और प्रभावशाली है। जिसके टकराने के बाद जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग हमारी पृथ्वी ग्रह के लिए बहुत बड़ा घातक है।
ग्लोबल वार्मिंग के प्रति जागरूकता
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को, कोई एक देश या कुछ लोगों के प्रयास से समाप्त नहीं किया जा सकता है। इसमें संसार के समुचित देशों और हर एक मानव के अंदर जागरूकता फैलानी होगी। ग्लोबल वार्मिंग धरती की समस्या बनती जा रही है। इसलिए हम सबको मिलकर इसे समाप्त करने में मदद करनी चाहिए। यह किसी व्यक्ति विशेष या किसी एक देश की समस्या नहीं है।
ग्लोबल वार्मिंग की समझ आज के युग में जी रहे सभी लोगों को है। ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने में सभी का बराबर भागीदारी है। इसलिए हम सब को इस दिशा में उचित कदम बढ़ाने की आवश्यकता है। ठीक वैसे ही जैसे बूंद-बूंद से घड़ा भरता है। अगर आज हम इस बात को अच्छी तरह से समझ ले तो हमारी आने वाली पीढ़ी इसके घातक परिणाम को भुगतने से बच जाएंगे।
ग्लोबल वार्मिंग के रोकथाम के उपाय
ग्लोबल वार्मिंग को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाए। अगर हर मनुष्य अपने जीवन में अपनी सुविधानुसार पेड़-पौधे, फूल-बागवानी करे तो हम काफी हद तक इस समस्या से बच सकते हैं।
मनुष्य रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर का इस्तेमाल जरूरत से ज्यादा कर रहे हैं। जिसकी वजह से वातावरण में सीएफसी गैसों की अधिकता हो गई है। मनुष्य अपने इन आवश्यकताओं को कम कर दे तथा एयर कंडीशन का इस्तेमाल उतना ही करें जितनी हमें इसकी जरूरत है। लोग इसे अपने स्टेटस सिंबल मानकर भी अनावश्यक तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं।
मनुष्य वाहनों का इस्तेमाल भी जरूरत से ज्यादा कर रहे हैं। वाहनों के ज्यादा इस्तेमाल से वातावरण में प्रदूषण की मात्रा में वृद्धि हो रही है। वाहनों का इस्तेमाल कम करके हम ग्लोबल वार्मिंग को दूर कर सकते हैं।
जनसंख्या के वृद्धि पर नियंत्रण कर हम ग्लोबल वार्मिंग को दूर कर सकते हैं। ज्यादा से ज्यादा पनबिजली और सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करें। हम अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखकर ग्लोबल वार्मिंग को दूर कर सकते हैं। उद्योगों से निकलने वाली हानिकारक गैसों तथा धुओं को रोकने का उपाय कर हम ग्लोबल वार्मिंग को कम कर सकते हैं।
- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध | Shree Krishna Janmashtami Essay in Hindi
- नवरात्री 2021 : चैत्र नवरात्रि
Global Warming in Hindi FAQ
पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग का क्या प्रभाव पड़ता है?
ग्लोबल वार्मिंग के कारण प्रकृति में बदलाव आ रहा है। कहीं भारी वर्षा तो कहीं सूखा, कहीं लू तो कहीं ठंड। कहीं बर्फ की चट्टानें टूट रही हैं तो कहीं समुद्री जल-स्तर में बढ़ोत्तरी हो रही हैं। आज जिस गति से ग्लेशियर पिघल रहे हैं इससे भारत और पड़ोसी देशों को खतरा बढ़ सकता है।
ग्लोबल वार्मिंग से कैसे बचें?
1. कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लाइट (CFL) बल्ब का उपयोग
2. कचरे का सही निपटारा
3. इस्तेमाल न होने पर बिजली के उपकरण बंद रखें
4. अधिक पैदल चलें या साइकिल का उपयोग करें
5. पेड़ लगायें और बचाएं
6. साबुन और डिटर्जेंट का कम प्रयोग करें
7. टपकते नल और पानी का बचाव
ग्लोबल वार्मिंग के लिए उत्तरदायी गैस कौन है?
ग्रीन हाउस गैसें ग्रह के वातावरण या जलवायु में परिवर्तन और अंततः भूमंडलीय ऊष्मीकरण के लिए उत्तरदायी होती हैं। इनमें सबसे ज्यादा उत्सर्जन कार्बन डाई आक्साइड, नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, वाष्प, ओजोन आदि करती हैं। कार्बन डाई आक्साइड का उत्सर्जन पिछले १०-१५ सालों में ४० गुणा बढ़ गया है।
भारत के समग्र ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में सबसे बड़ा उत्सर्जक क्षेत्र कौन सा है?
दिल्ली में प्रति व्यक्ति उच्चतम उत्सर्जन पाया गया जिसके कारण प्रदूषण स्तर अपने उच्च स्तर पर पहुँच गया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बंगलूरु और हैदराबाद की तुलना में 2.5 गुना अधिक उत्सर्जन पाया गया।
भूमंडलीय तापन के क्या परिणाम है?
कार्बन-डाई-आक्साइड सूर्यातप को तो गुजर जाने देती है। परन्तु पार्थिव विकिरण को अवशोषित कर लेती है। वायुमंडल में कार्बन-डाइ-ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने के परिणाम स्वरूप, भूमण्डल का तापमान बढ़ रहा है। ओज़ोन परत के ह्रास और कार्बन-डाइऑक्साइड में वृद्धि के कारण सारी पृथ्वी के तापमान के बढ़ने को भूमंडलीय तापन कहते हैं।
कौन सा देश सर्वाधिक ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करता है?
एडगर डेटाबेस के अनुसार के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, चीन दुनिया में कार्बन डाइऑक्साइड का सबसे बड़ा उत्सर्जक है। चीन प्रति वर्ष लगभग 10,641 मिलियन मीट्रिक टन का उत्सर्जन करता है जो कि दुनिया के कुल प्रदूषण का 30% है।
वर्तमान में विश्व सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जक देश कौन सा है?
यूरोपीय आयोग और नीदरलैंड पर्यावरण आकलन एजेंसी द्वारा जारी किए गए “एडगर डेटाबेस” के अनुसार विश्व में सबसे अधिक कार्बन डाइऑक्साइड गैस का उत्सर्जन करने वाला देश चीन है। जबकि सर्वाधिक प्रति व्यक्ति कार्बन डाइऑक्साइड गैस का उत्सर्जन करने वाला देश अमेरिका है।