Chalak Machhali : एक बार की बात है , एक मछुआरा नदी के किनारे रोज मछली पकड़ने जाता था। वह उन मछलियों को बाज़ार में बेचकर पैसा कमाता था। जिससे वह अपनी जीवन – यापन करता था।
चालाक मछली | Chalak Machhali Hindi Kahani
एक दिन वह यह सोचकर घर से निकला कि आज वह ज्यादा से ज्यादा मछली पकड़ेगा और उसे बेचकर ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाएगा। ऐसा सोचते हुए वह नदी के पास आया और मछली पकड़ने के लिय नदी में जाल फेंका। जाल में कुछ हलचल हुई। मछुआरा ने जाल अपनी ओर खींचा । उसने देखा कि जाल में छोटी सी मछली है और वह काफी तेज़ी से जाल में कूद रही थी । जैसे वह अभी नदी में छलांग लगा देगी।
मछली ने मछुआरे से कहा – तुम मुझे छोड़ दो , मैं काफी छोटी हूँ। तुम मुझे छोड़ दोगे तो मैं नदी में जाकर बहुत सारी मछलियों को अपने साथ नदी के किनारे ले आऊँगी।
तब तुम सब मछलियों को पकड़ लेना । मछुआरे ने सोचा – छोटी मछली ठीक कह रही है , और वह ऐसा सोचकर मछली को वापस नदी में डाल दिया। मछली ने मछुआरे को धन्यवाद दिया और नदी के अन्दर चली गई।
मछुआरा नदी के किनारे मछलियों का आने का इन्तज़ार करता रहा। सुबह से शाम हो गई परन्तु मछुआरे ने एक भी मछली नदी के किनारे पर आते हुए नहीं देखा। अब वह सब कुछ समझ गया था की छोटी मछली ने चालाकी की थी।
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