बटुए की रक्षा (Batuye ki Raksha): मुल्ला नसरुद्दीन को यात्रा पर जाना काफी अच्छा लगता था। उसके साथ उसकी यात्रा में भरोसेमंद साथी गधा जरूर रहता था। वह अपने साथ ज्यादा कुछ सामान लेकर नहीं चलता था। कुछ जरूरत की चीजें जैसे- कपड़े, चमड़े की थैली में पानी लेकर चलता था। धन-दौलत तो उसके पास नहीं के बराबर था।
मुल्ला नसरुद्दीन की यात्रा हमेशा जरूरतमंदों की मदद के लिए होती थी। वह जिस दिशा में भी जाता था, अपनी बुद्धिमानी और सूझबूझ से सभी की सहायता करता जाता था। मुल्ला की लोकप्रियता इतनी थी कि वह जहां भी जाता वहां के लोग उसके खाने-पीने, रहने की व्यवस्था वही कर देते थे। उसे खाने की चिंता नहीं होती थी। बिना किसी कीमती चीजों के साथ यात्रा करने में मुल्ला को डर नहीं लगता था।
मगर, इस बार की यात्रा हर बार की तरह नहीं थी। मुल्ला अपने नगर से दूसरे नगर में जा रहा था। तभी, उसका पड़ोसी उसके पास आया और धन की पोटली देते हुए कहा- उस नगर में मेरे जानने वाले रहते हैं, उनको यह धन दे देना।
बटुए की रक्षा : मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी | Batuye ki Raksha
उसके बाद मुल्ला अपनी यात्रा पर निकल पड़ा। मगर, दूसरे नगर पहुंचते-पहुंचते उसे रात हो गई। रात हो जाने के कारण उसे वही किसी सराय में रुकना पड़ा। पड़ोसी का दिया हुआ धन, चोरी ना हो जाए, इस डर से वह धन की पोटली को अपने सिर के नीचे दबा लिया। मुल्ला नसरुद्दीन के पास धन की पोटली देखकर सराय के मालिक को लालच आ गया।वह धन को चुराने के उपाय सोचने लगा।
आधी रात गुजर जाने के बाद वह मुल्ला के आसपास मंडराने लगा। मगर, चोरी करने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था। उसे पता था कि मुल्ला नसरुद्दीन कोई ऐसा वैसा व्यक्ति नहीं है। उसे डर था कि कहीं वह जागा हुआ तो नहीं है।
परंतु धन का लालच सराय के मालिक को चैन नहीं लेने दे रहा था। वह धीमे स्वर में, सोते हुए मुल्ला से पूछा, मुल्ला भाई क्या आप सो चुके हैं? मुल्ला ने जवाब दिया- नहीं, क्या तुम्हें मुझसे कोई काम है! बता दो। मैं उसका हल बता देता हूं।
सराय के मालिक ने कहा- आधी रात बीत चुकी है जल्दी से सो जाओ।
मुल्ला बोला- क्यों भाई, मुझे सोने के लिए क्यों कह रहे हो। मुझे नींद आएगी तो मैं सो जाऊंगा।
सराय का मालिक बोला- नहीं, बस ऐसे ही कल तुम्हें लंबी यात्रा पर जाना है। अगर अच्छी नींद नहीं लिए तो आप का सफर मुश्किल हो जाएगा।
अगर तुम्हें अपने बटुए की फिक्र सोने नहीं दे रहा है, तो इसके लिए बेफिक्र हो जाओ। मेरी सराय से उसे चुराने की किसी को भी हिम्मत नहीं होगी।
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मुल्ला नसरुद्दीन बोला- शुक्रिया जनाब, अब मैं चैन से सो पाऊंगा। इतना कह कर वह गहरी नींद में सोने लगा और थोड़ी-थोड़ी देर में बड़बड़ाता रहता।मैं सो चुका हूं।मेरा बटुआ कोई नहीं चुराएगा।
सराय का मालिक ऐसा देखकर अपना सिर पकड़ कर वहीं बैठ गया।
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