श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध | Shree Krishna Janmashtami Essay in Hindi

2
1831

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध | Shree Krishna Janmashtami Essay in HindiJanmashtami 2023: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है और इसे हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है।

  • इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 2 दिन मनाई जाएगी। पहली 6 सितंबर 2023 को और दूसरी 7 सितंबर 2023 मनाएंगे।
  • भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी को हुआ था श्रीकृष्ण का जन्म
  • माना जाता है कि रोहिणी नक्षत्र में हुआ था भगवान कृष्ण का जन्म

जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त (Janmashtami 2023 Date and Time)

  • श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तिथि: – 6 सितंबर 2023, बुधवार
  • अष्टमी तिथि प्रारम्भ: – बुधवार 6 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से शुरू होगी।
  • अष्टमी तिथि समापन: – 7 सितंबर 2023 के दिन शाम 04 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी।
  • निशित काल: – 06 सितंबर की रात 11 बजकर 57 मिनट से रात 12 बजकर 42 मिनट तक
  • रोहिणी नक्षत्र का आरंभ – 6 सितंबर 2023 सुबह 9 बजकर 20 मिनट से
  • रोहिणी नक्षत्र का समापन- 7 सितंबर 2023 को सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर

Janmashtami 2023: जन्माष्टमी का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पंचांग के अनुसार, जन्माष्टमी इस बार 2 दिन मनाई जाएगी। पहली 6 सितंबर 2023 को और दूसरी 7 सितंबर 2023 मनाएंगे। अष्टमी तिथि बुधवार 6 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से शुरू होगी, जो 7 सितंबर 2023 के दिन शाम 04 बजकर 14 मिनट तक रहेगी।

जन्माष्टमी 2023 पूजन मुहूर्त-रोहिणी नक्षत्र

जन्माष्टमी पर पूजन का शुभ मुहूर्त 7 सितंबर 2023 के दिन शाम 04 बजकर 14 मिनट तक रहेगा रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 6 सितंबर 2023 सुबह 9 बजकर 20 मिनट से हो रहा है

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार

वहीं ये भी माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी कि भादो महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।

Shree Krishna Janmashtami Essay | श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध

Shree Krishna Janmashtami Essay in Hindi  श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध
Shree Krishna Janmashtami Essay in Hindi

 

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का परिचय

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हिंदू (सनातन) धर्म का एक बहुत ही प्यारा और हर्ष तथा उल्लास से भरा हुआ त्योहार है। जन्माष्टमी नाम सुनकर ही भगवान श्रीकृष्ण की छवि हमारे दिल दिमाग पर छा जाती है। जन्माष्टमी का अर्थ है भगवान श्रीकृष्ण का जन्म दिवस। जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन हम बहुत ही श्रद्धा और प्यार से मनाते हैं जैसे कोई मां अपने बच्चे का जन्मदिन मनाती है।

सारी चीजें तैयारियां सभी में भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपना प्यार और श्रद्धा छलकाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म दिवस एक समारोह और उत्सव की तरह मनाते हैं। जन्माष्टमी की धूम पूरे भारतवर्ष ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भगवान श्रीकृष्ण के अनुयायी बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं।

ये भी पढ़ें : Independence Day Essay In Hindi | स्वतंत्रता दिवस पर निबंध

भगवान श्री कृष्ण का जन्म कथा

भगवान श्रीकृष्ण द्वापर युग में जन्म लिए थे। श्रीकृष्ण का जन्म हिंदू शास्त्र के अनुसार भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। इसलिए इसे कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं। जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था तब काली अंधेरी रात और तूफानी वर्षा हो रही थी। भगवान श्रीकृष्ण विष्णु के आठवें अवतार थे। श्रीकृष्ण देवकी और वासुदेव के आठवें संतान थे। भगवान श्री कृष्ण का जन्म धरती पर धरती पर विशेष कार्य करने के लिए हुआ था। धरती पर अत्यधिक फैली बुराइयों को अंत करने के लिए उनका जन्म हुआ था।

भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेश दिए थे। भगवदगीता का उपदेश हमारे जीवन का सार है। जिसका अर्थ मनुष्य के जीवन को दिशा दिखाना है।

भगवदगीता को पढ़कर हमारा अशांत और विचलित मान शांति को प्राप्त करता है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ था। जहां उनके माता-पिता को कंस द्वारा बंदी बनाकर रखा गया था। कंस देवकी के भाई थे। इस प्रकार कंस श्रीकृष्ण के मामा थे। कंस को जब आकाशवाणी के जरिए यह ज्ञात हुआ कि देवकी और वासुदेव के आठवीं संतान उसके मृत्यु का कारण बनेगी तब उसने उन दोनों को अपने कारागार में कैद कर दिया।

कंस को अपनी मृत्यु का भय इतना हुआ कि उसने देवकी के सात बच्चों को मार डाला फिर भी कंस अपने जीवन को नहीं बचा पाया। कंस अपने क्रूर और अमानवीय कार्यों के कारण भगवान श्रीकृष्ण के हाथों मारा गया।

ये भी पढ़ें : रक्षाबंधन पर निबंध | ESSAY ON RAKSHABANDHAN IN HINDI

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है?

भगवान विष्णु के आदेश पर श्रीकृष्ण को वासुदेव ने गोकुल में नंद बाबा और यशोदा माता के पास सुरक्षित पहुंचा दिए। जहां उनका लालन-पालन बहुत ही प्यार के साथ होने लगा। तभी से उनका जन्म प्रत्येक साल बहुत ही धूमधाम से मनाया जाने लगा।

जन्माष्टमी व्रत और पूजा

भगवान श्रीकृष्ण के जन्म दिवस पर भक्तगण व्रत रखते हैं मध्य रात्रि तक जब उनका जन्म हुआ था। जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है। इस दिन लोग अपने घर के मंदिर को भी सजाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद उनको दूध, दही और पानी से स्नान कराया जाता है फिर उनको नए वस्त्र पहनाए जाते हैं।

वस्त्र पहनाने के बाद उनको आभूषण से सजाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने के बाद उनको लड्डू अर्पण करते हैं। फिर उस लड्डू को भक्तगण में वितरित कर दिया जाता है। मथुरा और वृंदावन में विशेषतौर पर जन्माष्टमी मनाई जाती है। जिसकी छटा देखते बनती है। भगवान श्रीकृष्ण को मोर पंख, बांसुरी बेहद पसंद थे। वह अपने साथ इन दोनों चीजों को सदा साथ रखते थे।

श्रीकृष्ण की प्रतिमा मोर पंख और बांसुरी के बिना अधूरी होती है। जन्माष्टमी के अवसर पर श्रीकृष्ण का भजन कीर्तन नाटक तथा नृत्य संगीत का आयोजन कर याद करते हैं, और उनकी पूजा करते हैं। इस दिन छोटे-छोटे बालक और बालिकाओं को श्रीकृष्ण तथा श्री राधा जी के रूप में तैयार करते हैं। श्रीकृष्ण प्रेम की मूर्ति है जो धरती पर आकर प्रेम की महिमा को दर्शाया है। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि प्रेम ही जीवन है। प्रेम से दिलों को जीता जा सकता है। भगवान श्रीकृष्ण प्रेम की मूर्ति है। उनका श्याम रंग भी मोहित करने वाला है। उनका मुख मंडल सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है।

Shree Krishna Janmashtami Essay in Hindi  श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध
Shree Krishna Janmashtami Essay in Hindi

मंदिरों में कृष्ण से संबंधित हर एक पहलू और याद की झांकियाँ सजाई जाती हैं। जिसको लोग देखकर प्रसन्न और कृष्णमय हो जाते हैं। विशेष तौर पर जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण का झूला सजाया जाता है और उनको उस में बिठाकर झुलाया जाता है। भक्तगण भगवान श्रीकृष्ण को झूला झुलाना अपना सौभाग्य मानते हैं। जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला का भी आयोजन होता है।

ये भी पढ़ें : मेरा विद्यालय पर निबंध – Essay On My School

जन्माष्टमी पर दही हांडी की प्रथा

जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर दही हांडी की भी प्रथा प्रचलित है जो महाराष्ट्र में विशेष तौर पर आयोजित किया जाता है। इस प्रथा में मिट्टी के मटके में दही, दूध, मक्खन भरकर ऊंचे रस्सी पर लटका दिया जाता है फिर लोग मानव श्रृंखला बनाकर उस मटके तक पहुंचते हैं और फिर उसे अपने हाथों से तोड़ देते हैं।

इस दिन दही हांडी की प्रतियोगिता भी रखी जाती है। जो प्रतिभागी इस प्रतियोगिता में विजय होते हैं। उन्हें इनाम राशि भी दिया जाता है।  महाराष्ट्र के अलावा भारत के अनेक राज्यों में इसका आयोजन किया जाता है। जिसको देखने के लिए लोगों की काफी भीड़ एकत्रित हो जाती है। गुजरात में इस दिन डांडिया नृत्य भी किया जाता है जो काफी प्रसिद्ध है। जन्माष्टमी नृत्य और संगीत का भी त्यौहार है। जन्माष्टमी अपने आप में एक आनंददायक त्योहार है।

ये भी पढ़ें : मेरी माँ निबंध पर दस पंक्तियाँ | Ten Lines Essay On My Mother

मनमोहन कान्हा विनती करूँ दिन रैन
राह तके मेरे नैन
अब तो दरस देदो कुञ्ज बिहारी
मनवा हैं बेचैन
नेह की डोरी तुम संग जोरी
हमसे तो नहीं जावेगी तोड़ी
हे मुरली धर कृष्ण मुरारी
तनिक ना आवे चैन
राह तके मेरे नैन …
मै म्हारों सुपनमा
लिसतें तो मै म्हारो सुपनमा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here