Essay on Air Pollution in Hindi | वायु प्रदूषण पर निबंध

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Essay on Air Pollution in Hindi: वर्तमान समय में मनुष्य ने बहुत वैज्ञानिक प्रगति कर ली है। वैज्ञानिक प्रगति के कारण मनुष्य का जीवन हर प्रकार के सुख-सुविधाओं से संपन्न हो गया है। एक ओर जहां मनुष्य का जीवन सुख-सुविधाओं से भर गया है वहीं, दूसरी ओर उसके सामने अनेक समस्याएं भी उत्पन्न हो गई है। इनमें पर्यावरण प्रदूषण की समस्या सबसे प्रमुख है।
पर्यावरण का अर्थ होता है- हमारे चारों ओर का वातावरण। हमारा पर्यावरण वायु, जल, धरती, मनुष्य, जीव, जंतु आदि के मिलने से बना है। यह सभी पर्यावरण के अंग या हिस्सा है।

Essay on Air Pollution in Hindi
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पर्यावरण प्रदूषण | Essay on Air Pollution in Hindi

प्रदूषण का अर्थ होता है- दूषित, विषैला या गंदा होना। जल, भूमि और वायु के दूषित होने से पर्यावरण दूषित हो जाता है। अर्थात कहने का तात्पर्य यह है कि पर्यावरण में अवांछित पदार्थों का मिलना जिसकी वजह से पर्यावरण दूषित हो जाता है तथा इसके दुष्प्रभाव से जनजीवन प्रभावित हो जाता है, उसे पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण मुख्यतः चार प्रकार का होता है-

  1. वायु प्रदूषण
  2. जल प्रदूषण
  3. भूमि प्रदूषण
  4. ध्वनि प्रदूषण

आज के समय में वायु, जल, भूमि बहुत ही ज्यादा दूषित हो गए हैं। वायुमंडल में अनेक गैसों का मिश्रण है। सभी गैसों का एक समान अनुपात है। जब इन गैसों के अनुपात में बदलाव आ जाता है तब वायुमंडल में दोष पैदा हो जाता है। जिसका दुष्प्रभाव धरती के सभी प्राणी जगत पर पड़ता है। वायुमंडल के गैसों के अनुपात में बदलाव प्रकृति और मनुष्य दोनों के द्वारा ही होता है।

वायु प्रदूषण- हमारे वायुमंडल में जब अवांछित छोटे-छोटे कण और विषैले गैस मिल जाते हैं जिसके कारण मनुष्य, जंतु और वनस्पतियों को हानि पहुंचती है, उसे वायु प्रदूषण कहते हैं।

वायु प्रदूषण के कारण और स्त्रोत

औद्योगिक प्रदूषण- नगरों और महानगरों में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण होता है। क्योंकि नगर तथा आवासीय क्षेत्रों में छोटे-बड़े कल-कारखाने वैध और अवैध रूप से चलाए जाते हैं। जिसके कारण उनसे निकलने वाला विषैला धुआँ वहां के जनजीवन को काफी दुष्प्रभावित करता है।

बड़े-बड़े नगर और महानगरों में बड़ी संख्या में उद्योग स्थापित होते हैं। जैसे- सीमेंट, रासायनिक खाद, लौह-अयस्क कारखाना इत्यादि इन उद्योगों से बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सिलिकॉन के छोटे-छोटे कण वायु में मिलकर उनको दूषित करते हैं। कई आधुनिक उद्योगों में रासायनिक पदार्थों का प्रयोग होता है। इन उद्योगों से निकलने वाली विषैले रसायनिक गैस वायु में मिलकर उनको दूषित करते हैं।

यातायात के साधन अर्थात वाहनों द्वारा- आजकल मनुष्य जल्द-से-जल्द अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचने के लिए विभिन्न वाहनों का इस्तेमाल करते हैं। चाहे वह दूरी छोटी ही क्यों ना हो। हम हर क्षण तथा किसी भी प्रकार की जरूरत के लिए वाहन पर निर्भर हो गए हैं। इन वाहनों से निकलने वाला धुआँ वायु को प्रदूषित करने में अहम भूमिका निभाता है।

डीजल, पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियां कार्बन-डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, जहरीली गैसें तथा धुआँ का उत्सर्जन करती है। यह गैसें हमारे स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित करती है। मनुष्य को अति व्यस्त मार्ग पर घुटन जैसी स्थिति पैदा हो जाती है। समुद्री मालवाहक जहाजों से भी वायु प्रदूषण होता है।

इंधन का जलना- आज भी मनुष्य खाना बनाने के लिए चूल्हे का इस्तेमाल करता हैं। जिनमें लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है। इन लकड़ियों के जलने से हानिकारक गैसें और धुआँ निकलता है।
बिजली संयंत्रों की चिमनियों से, पराली तथा कूड़ें-कचरे को जलाने से वायुमंडल में विषैली गैसें मिल जाती हैं।

धूम्रपान- धूम्रपान करना मनुष्य अपने दिनचर्या में शामिल कर लिया है। धूम्रपान जैसे- बीड़ी, सिगरेट आदि का सेवन मनुष्य करता है। इनसे निकलने वाला धुआं वातावरण में मिलकर वायु की गुणवत्ता को नष्ट कर देता है। इनका सेवन करने से निकलने वाला धुआं तत्काल अपना प्रभाव दिखा देता है। इस प्रकार के धुआँ के संपर्क में आने से खाँसी तथा घुटन जैसी स्थिति पैदा हो जाती है।

प्राकृतिक स्रोत- वायुमंडल को दूषित करने में प्रकृति की भी भागीदारी होती है। समय-समय पर आने वाला प्राकृतिक आपदाएं जैसे- ज्वालामुखी का फटना, भूस्खलन, उल्कापात और अति सूक्ष्म जीव वायुमंडल को प्रभावित करते हैं। जंगल में आग लगने से बड़ी मात्रा में कार्बन-मोनोऑक्साइड गैसें निकलती है। बंजर भूमि से भी उड़ने वाला धूल कण वायु को दुष्प्रभावित करते हैं।

कीटनाशक का प्रयोग- फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को मारने के लिए अनेक प्रकार के कीटनाशकों का प्रयोग खेतों में किया जाता है। कीटनाशकों के छिड़काव से विषैले और खतरनाक रसायन वायु में मिल जाते हैं। इस प्रकार के रसायन वायु में मिलकर वायु को भी विषाक्त कर देते हैं। जो हमारी स्वसन तंत्र और आंखों के लिए खतरनाक सिद्ध होता है।

वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव

वायु प्रदूषण आज मनुष्य तथा जीव जंतुओं के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है। हमारा पर्यावरण इस चुनौती को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करता रहता है। परंतु मनुष्य कई प्रकार के विकास के नाम पर लगातार पर्यावरण से छेड़-छाड़ कर रहा है। जिसका बुरा असर हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य पर पड़ता है। एक तरफ जहां हम विकास कर रहे हैं वहीं, दूसरी तरफ अपने स्वास्थ्य को खराब भी कर रहे हैं। ऐसे ही कई प्रकार के दुष्प्रभाव वायु प्रदूषण के कारण होते हैं, जो निम्नलिखित हैं –

स्वास्थ्य की समस्याएं- वायु प्रदूषण का सबसे सीधा और खराब असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। सबसे पहले हमारी श्वसन तंत्र को खराब करता है। जिससे कई प्रकार की समस्याएं जैसे- खांसी, दमा, आदि हमारे शरीर में घर जाते हैं। वायुमंडल में कई प्रकार के हानिकारक गैसों का मिश्रण हो जाता है। जो स्वसन के जरिए फेफड़ों में जाता है। जिससे हमारा फेफड़ा के कार्य क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। इसके अलावा सिर दर्द, आंखों में जलन, घुटन की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इन सब के कारण हमारा स्वास्थ्य खराब हो जाता है। हम बीमार पड़ जाते हैं।

स्मारकों तथा विश्व धरोहरों पर दुष्प्रभाव- वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव स्वास्थ्य के साथ-ही-साथ प्राचीन स्मारकों तथा धरोहर पर पड़ता है। वायु में हानिकारक गैस के मिलने से स्मारक के संरचना तथा ढांचा जो अनेक धातु से बने होते हैं। उनका क्षय होने लगता है।

वायुमंडल में प्राणवायु अर्थात ऑक्सीजन की कमी

वायुमंडल में गैसों की अनुपातिकता में बदलाव आने से वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव बढ़ जाता है। इसके कारण वायुमंडल में ऑक्सीजन जिसे प्राणवायु भी कहते हैं। उसकी मात्रा में कमी आ जाती है। जिसके कारण मनुष्य तथा अन्य जीव जंतुओं में घुटन की समस्या जाती है।

अम्लीय वर्षा- वाहनों तथा कल कारखानों से निकलने वाले धुओं में कार्बन-डाईऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा पाई जाती है। यह गैसें वायुमंडल में सल्फ्यूरिक अम्ल के रूप में मौजूद रहते हैं। जब वर्षा होती है तब यह अम्ल वर्षा के साथ धरती पर आता है। जिसके कारण धरती की अम्लता में वृद्धि हो जाती है। इससे धरती की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है। धरती की उत्पादन शक्ति में गिरावट आने लगता है।

ओजोन परत में छेद- हमारे वायुमंडल का सुरक्षा कवच ओजोन परत है। जो वायुमंडल के ऊपर स्थित है। ओजोन परत सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों को धरती पर आने से रोकने में मदद करता है। वायु प्रदूषण के कारण हानिकारक और विषैले गैस ओजोन के परत में छिद्र कर रहे हैं। ओजोन परत में छेद होने से सूर्य की पराबैंगनी किरणें सीधी धरती पर आने लगती है। इन हानिकारक किरणों से त्वचा संबंधी रोग जैसे- त्वचा के कैंसर, एलर्जी इत्यादि का खतरा बढ़ जाता है।

वायु प्रदूषण को दूर करने के उपाय

  • वायु प्रदूषण को दूर करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाना चाहिए।
  • जंगलों तथा हरे-भरे पेड़-पौधों को कटने से बचाना चाहिए।
  • कल-कारखानों में ऊंची-ऊंची चिमनियों का इस्तेमाल करके।
  • वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण तकनीक का सहारा लेना चाहिए।
  • वायु प्रदूषण को रोकने के लिए समाज में इसके प्रति जागरूकता फैलाने चाहिए। ताकि इनसे होने वाले दुष्प्रभाव से बचा जा सके और पर्यावरण शुद्ध बना रहे।
  • घरों में धुआँ करने वाले चूल्हे की जगह सौर ऊर्जा से चलने वाले चूल्हों का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • धुआँ उत्सर्जित करने वाले वाहनों का कम इस्तेमाल कर तथा ज्यादा से ज्यादा सीएनजी और इलेक्ट्रिक बैटरी से चलने वाले वाहनों का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • कल कारखानों तथा उद्योगों को आबादी वाले शहरों से काफी दूर स्थापित करना चाहिए ।

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