गिद्ध और चालाक बिल्ली की कहानी | Gidh aur Billi Ki Kahani

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गिद्ध और चालाक बिल्ली की कहानी: एक बार की बात है। सरपट नाम का एक बूढ़ा और अंधा गिद्ध था। वह नदी के किनारे एक पेड़ के खोखले में रहता था। उस पर कुछ और पक्षी भी रहते थे। वे पक्षी सरपट गिद्ध के लिए पेड़ के किसी कोने में रहने के लिए बंदोबस्त कर दिए और उसके खाने का भी इंतजाम कर देते थे। इसके बदले में जब पक्षी भोजन इकट्ठा करने के लिए बाहर जाते थे तो सरपट गिद्ध उनके बच्चों की देखभाल करता था।

एक दिन एक बिल्ली उस रास्ते से गुजर रही थी। उसने चिड़ियों की चहचहाहट सुनी। पक्षियों के छोटे-छोटे बच्चों ने किसी के आने की आहट सुनी। वे किसी आने वाले संकट को भापकर जोर-जोर से चीं-चीं की आवाज करने लगे।

घोसलों की रखवाली कर रहे सरपट ने जोर से चिल्लाया और बिल्ली से पूछा कौन है वहां? जल्दी बताओ! बिल्ली सोची कि अब गिद्ध उसे चीर देगा। लेकिन जल्दी ही उसे यह अहसास हो गया कि वह अंधा था। उसने तुरंत एक चतुर योजना बनाई और कही- हे बुद्धिमान और शक्तिशाली पक्षी मै एक बिल्ली हूं। आप जैसे शक्तिशाली पक्षी से मिलना वास्तव में सम्मान की बात है। मैं एक बिल्ली हूं। क्या आप को मुझे यहां आना पसंद नहीं आया?

गिद्ध बोला- इससे पहले कि मैं तुम्हें मार दूं, यहाँ से चले जाओ।

गिद्ध और चालाक बिल्ली की कहानी
गिद्ध और चालाक बिल्ली की कहानी

बिल्ली बोली कृप्या ऐसा मत कहिए महोदय। मैंने जंगल के जानवरों से आपकी बुद्धि और बुद्धि के बारे में कई किस्से सुने हैं। इसलिए मैं आपको देखने के लिए बहुत दूर से आयी हूं। कृपया मुझे अपना शिष्य स्वीकार करें और मुझे आश्रय दे।

गिद्ध और चालाक बिल्ली की कहानी

गिद्ध और चालाक बिल्ली की कहानी: सरपट गिद्ध, बिल्ली की चापलूसी भरी बातों को सुनकर बहुत प्रसन्न हो गया। गिद्ध बोला- हे बिल्ली तुम्हारे उदार शब्दों के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं। मगर तुम्हारी यहां उपस्थिति छोटे पक्षियों के लिए खतरा पैदा कर सकती है। इसलिए तुम यहां से चली जाओ। चतुर बिल्ली ने गिद्ध को यह कह कर समझाने की कोशिश की।

हे ज्ञानी- इन प्यारे छोटे बच्चों को डरने की कोई बात नहीं है। मैं शाकाहारी हूं और मैंने मांस को नहीं छूने का वचन लिया है। सरपट गिद्ध ने बिल्ली पर विश्वास किया और उसे अपने साथ पेड़ के किसी खोखले में रहने की अनुमति दे दी। कुछ दिनों तक बिल्ली, गिद्ध का गुणगान करती रही और पक्षियों के छोटे-छोटे बच्चों की बहुत देखभाल करती रही। जल्दी ही सरपट गिद्ध को बिल्ली पर विश्वास हो गया।

अब बिल्ली ने अपना असली रंग-रूप दिखाना शुरू कर दिया। जब पक्षी भोजन के तलाश के लिए बाहर जाते थे तो बिल्ली पेड़ पर चढ़ जाती थी। वह रोज एक पक्षी का बच्चा खाती थी और बची हुई हड्डियों को सरपट के खोखले में छिपा देती थी। बेचारा अंधा गिद्ध बिल्ली के बुरे इरादों के बारे में अनजान था।

जल्दी ही पक्षियों को पता चल गया कि उनके बच्चों की संख्या रहस्यमयी तरीके से घट रही है। वे मामले की जांच करने लगे। जब बिल्ली ने देखा कि पक्षी सतर्क हो गए हैं। तो वह बड़ी ही चतुराई से उस स्थान से चली गई। पक्षियों ने जल्द ही पेड़ के तने के खोखले में हड्डियों और पंखों के ढेर की खोज कर लिए। जिस पेड़ पर सरपट रहता था। उसी पेड़ के किसी खोखले में यह सब पाए गए। सभी पक्षी इस नतीजे पर पहुंचे कि जरूर बूढ़े गिद्ध ने ही उनके बच्चों को खा लिया होगा। उन्होंने बड़े क्रोध में बूढ़े पक्षी पर हमला किया और उसे मार डाला।

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