हिंदी कहानी – तालाब की परी | Hindi Kahani – Fairy Of The Pond
तालाब की परी
तालाब की परी: बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में एक माँ अपनी दो बेटियों के साथ रहती थी। बड़ी बेटी का नाम टीना और छोटी बेटी का नाम मीना था। बड़ी बेटी टीना बिलकुल अपनी माँ की तरह दिखाई देती थी।
टीना और उसकी माँ बहुत ही घमंडी और खराब व्यवहार वाली थी। जिसके कारण गाँव के लोग उन दोनों को पसंद नहीं करते थे। मगर छोटी बेटी मीना बहुत ही प्यारी और भोली-भाली थी। उसकी जैसी सुंदर लड़की दूर-दूर तक नहीं दिखाई देती थी।
माँ केवल टीना को प्यार करती थी क्योंकि वह अपनी माँ की तरह दिखाई देती थी और व्यवहार भी माँ की जैसी थी। मीना रसोई में ही रहती थी और पूरा दिन काम करती थी। मीना घर से थोड़ी ही दूर तालाब से एक बाल्टी में रोज पानी भर कर लाती थी।
एक दिन की बात है। मीना पानी भर कर घर लौट रही थी तभी एक बूढ़ी महिला अचानक से उसके सामने आ गई और उससे पीने के लिए पानी माँगने लगी। छोटी बेटी तुरंत उस बूढ़ी महिला को अपनी बाल्टी से पानी निकाल कर पिला दी।
पानी पीने के बाद वह महिला एक परी के रूप में आ गई। परी मीना के अच्छे व्यवहार से प्रसन्न हो गई।
परी मीना से बोली – तुम दिखने में जितना सुंदर हो उससे कही ज्यादा सुंदर तुम्हारा व्यवहार है। परी ने उसे आशीर्वाद दिया कि जब भी वह बोलेगी तो उसकी जरूरत की चीजें और रूपये-पैसे उसके सामने प्रकट हो जायेंगे।
मीना जब अपने घर पहुँची तो उसे उसकी माँ ने देर से आने की सजा दी. मीना ने देर से आने के लिए माँ से माफी भी माँगी। जैसे ही वह बोली उसके मुहँ से रूपये और उसकी जरूरत की चीजें जमीन पर गिरने लगे। मीना की माँ आश्चर्यचकित हो गई और बोली – यह क्या है? मीना।
क्या मैं सच में तुम्हारे मुहँ से रूपये – पैसे गिरता हुआ देख रही हूँ? यह सब क्या हो रहा है, तुम्हारे साथ मेरी ‘प्यारी बेटी’। यह मीना के साथ पहली बार हुआ था कि उसकी माँ उसे ‘प्यारी बेटी’ शब्द बोली थी।
भोली और मासूम मीना सारी आपबीती सच-सच बता दी। उसकी माँ यह बात सुनकर खुश हो गई और अपनी बड़ी बेटी टीना को भी तालाब से पानी लाने के लिए भेजा और यह बात भी बोली कि जब कोई गरीब बूढ़ी महिला तुमसे पानी माँगे तो बड़े प्यार से पानी पिलाना।
टीना बहुत ही बेरुखी से जवाब दिया – ‘ अवश्य ‘ और वह वहाँ से जल्दी-जल्दी तालाब की और निकल पड़ी। टीना अपने साथ कीमती धातु का बर्तन अपने साथ लाई थी पानी भरने के लिए।
जैसे ही वह तालाब से पानी भरकर लौट रही थी वैसे ही उसने एक महिला को देखा जो दिखने में बिलकुल भी बूढ़ी नहीं थी और उसके कपड़े भी सुंदर थे।
वह महिला टीना की तरफ ही आ रही थी। महिला ने टीना से पानी माँगा पीने के लिए। इसपर टीना बोली – क्या तुम यह सोच रही हो कि इस कीमती बर्तन का पानी मै तुम्हे पिलाने के लिए जंगल आई हूँ। टीना ने बहुत ही कड़े व्यवहार से साथ उस महिला से बात की।
परी अपने गुस्से को छिपाते हुए बोली – तुम बहुत ही उदंड लड़की हो। तुम्हारा स्वभाव बहुत ही घमंडी है। तुम्हारे इस बुरे बर्ताव के लिए मैं तुम्हे श्राप देती हूँ कि जब भी तुम कुछ बोलोगी तुम्हारे मुहँ से काँटे ही काँटे बरसेंगे।
कुछ देर बाद टीना वापस घर लौटी। टीना को देखकर माँ ख़ुशी से उसे गले लगा ली और उससे पूछा – तुम ठीक हो? टीना बोली – हाँ ठीक हूँ। टीना जैसे ही बोली उसके मुहँ से काँटे ही काँटे गिरने लगे।
टीना की माँ तेज आवाज़ में चिल्लाई – हे भगवान ! मैं यह क्या देख रही हूँ? यह सब तुम्हारी बहन मीना की वजह से हो रहा है। इसकी सजा मै उसे अवश्य दूँगी।
इतना बोलने के साथ ही वह अपनी छोटी बेटी मीना की तरफ लपकी मगर इससे पहले की वह उसे पकड़ पाती वह दौड़ कर जंगल में चली गई।
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उस जंगल में एक राजा का बेटा शिकार करने निकला था। तभी उसने देखा कि एक बहुत ही सुंदर लड़की एक पेड़ के नीचे अकेली बैठी रो रही है। राजा का बेटा ने उससे रोने का कारण पूछा।
मीना रोते-रोते अपनी सारी आपबीती और माँ के द्वारा घर से निकले जाने की बात कही। मीना के बोलने के कारण वहाँ रुपया-पैसा इक्कठा हो गया था।
राजा का बेटा बहुत ही आश्चर्यचकित हो गया। वह मीना को अपने महल में ले आया। राजा ने अपने बेटे की शादी सुंदर और भोली-भाली मीना से कर दी। मीना बहुत खुश थी।
टीना को परी के द्वारा दिए गए श्राप के कारण बहुत दुखी होकर वह अपनी माँ और घर को छोड़कर जंगल में निकल गई। इस घटना के बाद टीना को दुबारा गाँव में किसी ने नहीं देखा।
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