Hindi Matra – हिंदी मात्रा : प्रत्येक स्वर के लिए एक निश्चित चिन्ह होता है, जिसे मात्रा कहते हैं।
स्वर जब व्यंजन से मिलते हैं, तब इनका रूप बदल जाता है। स्वरों का प्रयोग उनकी मात्रा के रूप में होता है, इसलिए व्यंजन के साथ स्वर न लिखकर, उनकी मात्रा लगाते हैं।
नोट- ‘अ’ स्वर की कोई मात्रा नहीं होती।
हिंदी मात्रा की परिभाषा
स्वरों के लिए निश्चित चिन्ह मात्रा कहलाते हैं।
स्वरों की मात्राएँ | Swaron Ki Matra
विशेष | Vishesh
सभी मात्राओं को लगाने का तरीका अलग है। कुछ मात्राएँ व्यंजनों के ऊपर लगती हैं, तो कुछ नीचे। कुछ व्यंजनों के आगे लगाती हैं, तो कुछ उनके पीछे।
‘र’ के साथ ‘उ’ या ‘ऊ’ की मात्रा उसके आगे-पीछे या ऊपर-नीचे न लगकर ‘र’ के पेट में लगती है-
र् + उ = रु – रुपया, रुई
र् + ऊ = रू – रूप, अमरूद
‘ऋ’ की मात्रा हमेशा व्यंजन के नीचे लगती है।
व् + ऋ = वृ – वृक्ष
प् + ऋ = पृ – पृथ्वी
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