Manohar ki sehat: यह कहानी मनोहर नामक चरित्र का है जो सेहत के प्रति लापरवाह व्यक्ति का द्योतक होता है और किस प्रकार उसे सेहत की महत्व का बोध होता हैं।
मनोहर की सेहत | Manohar ki sehat
हिंदी कहानी – मनोहर की सेहत
मनोहर की सेहत : श्याम नगर में दो पड़ोसी रहते थे। उनका घर एक – दूसरे के घर के सामने था। दोनों अच्छे पड़ोसी थे , और एक-दूसरे के घर में आना – जाना था। एक का नाम सोहन और दूसरे का नाम मनोहर था।
सोहन की सेहत कुछ ठीक नहीं रहती थी। वह अक्सर किसी-न-किसी वजह से बीमार हो जाता था। जिससे वह काफी परेशान और दुखी हो जाता था। सोहन इसी कोशिश में रहता की वह बीमार न हो।
दूसरी तरफ, मनोहर अच्छी सेहत का मालिक था। वह कभी भी बीमार नही होता था। उसे शायद ही याद होगा कि वह कब बीमार हुआ था। मनोहर सोचा करता कि सोहन का नसीब कितना अच्छा है ! कि वह बीमार हो जाता है, जिससे उसे काम से छुट्टी मिल जाती है और घर पर आराम करता रहता है।
उसके पास लोग – परिचित उसका हाल – चाल लेने आते और साथ में कुछ भेंट भी लाते हैं जैसे फल इत्यादि। उसको अपनी सहानुभूति भी दिखाते हैं। यह सब देखकर सोहन को कितना अच्छा लगता होगा! मनोहर भी चाहता था कि वह भी बीमार हो और साथी, रिश्तेदार उससे मिलने आए, अपनी भेंट लाए और अपनी सहानुभूति दिखाए।
एकदिन मनोहर के घर कुछ मेहमान आए और साथ में उपहार के रूप में सभी केले लाए। मनोहर को केले बहुत पसंद थे , इतना कि अगर पूरा दिन उसे केला खाने को मिले तो वह पूरा दिन केला ही खाता रहेगा मगर केले से उसे बोरियत महसूस नहीं होगी।
अगले दिन मनोहर की पत्नी किसी काम से बाहर चली गई। मनोहर को बहुत तेज़ भूख लगी। मनोहर को केले की याद आई। वह केला खाने लगा और एक – एक करके काफी केले खा लिए। केला खाकर वह बहुत खुश हुआ और आराम करने के लिए लेट गया। उसे तुरंत ही आँख लग गई और सो गया।
जब वह नींद से जागा तब उसे पेट में दर्द महसूस हो रही थी। दर्द अब असहनीय होता जा रहा था। इतने में मनोहर की पत्नी घर आ गई , और इन सब का कारण पूछा – मनोहर ने सारा हाल बता दिया।
उसकी पत्नी ने उसे दर्द ठीक होने की दवाई दी। मनोहर ने दवा खाने से मना कर दिया और कहा – मेरे पेट में एक चमच दवा भर की भी जगह नहीं बची है।
डॉक्टर को बुलाया गया , डॉक्टर ने दर्द ठीक होने की सुई लगाई , फिर भी उसका दर्द ठीक होने का नाम नही ले रहा था। उसकी सेहत लगातार खराब होती जा रही थी।
वह अपने पैरो पर मुश्किल से ही खड़ा हो पा रहा था। मनोहर के पास लोगो का आना शुरू हो गया, उसकी बीमार तबियत का हाल लेने पर उसे कुछ भी अच्छा नही लग रहा था। वह पहले की तरह स्वस्थ्य होना चाहता था।
मनोहर से मिलने उसका पड़ोसी सोहन आया। सोहन को देखकर वह रोने लगा। मनोहर अब जान चूका था कि सोहन को भी इतना ही कष्ट होता होगा बीमार होने पर। इसलिए वह स्वस्थ्य रहने के लिए हमेशा प्रयासरत रहता है। सोहन उसे जल्द ठीक होने की शुभकामना दिया।
मनोहर भगवान से प्रार्थना करने लगा कि वह जल्द – से – जल्द ठीक हो जाए और भविष्य में कभी भी बीमार न हो।
शिक्षा : इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती हैं कि स्वस्थ्य शरीर ही सुखी जीवन जी सकता हैं।
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