बुद्धिमान पत्नी | Buddhiman Patni

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बुद्धिमान पत्नी: एक गांव में एक मुखिया था। जो अपने आप को बहुत ही होशियार और बुद्धिमान समझता था। गांव के लोग उसके पास अपनी समस्या लेकर आते थे। मुखिया उनकी समस्याओं को सुलझा कर बहुत ही प्रसन्न होता था। समस्या को सुलझा कर वह अपनी पीठ खुद ही थपथपाता था। वह मन-ही-मन अपनी बुद्धिमत्ता पर प्रसन्न होता था।

एक बार एक बुजुर्ग आदमी मुखिया के पास रोता हुआ आया। वह रोते-रोते कह रहा था कि उसके पड़ोसी ने उसके घर से बकरियाँ चुरा ली हैं। मुखिया ने पड़ोसी को बुलाया और पूछा- क्या तुमने इस बुजुर्ग व्यक्ति की बकरियाँ चुराई है? पड़ोसी बोला- नहीं मुखिया जी, मेरे पास पहले से ही बहुत सारी बकरियाँ है। मैं भला इन की बकरियाँ क्यों चुराउंगा?

मुखिया दुविधा में फंस गया। उसने समस्या को सुलझाने के लिए एक बहुत ही बेतुका सा उपाय निकाला। मुखिया ने कहा- आप दोनों को फैसला सुनाने से पहले मैं एक प्रश्न का उत्तर चाहता हूं। आप दोनों में से जो इस प्रश्न का उत्तर मुझे देगा मैं उसके हक में फैसला सुनाऊंगा।

मुखिया ने दोनों से प्रश्न किया कि इस संसार में सबसे तेज चीज क्या है? प्रश्न का उत्तर न दे पाने के कारण दोनों वहां से उदास होकर चले गए।

बुद्धिमान पत्नी
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बुद्धिमान पत्नी | Buddhiman Patni

बुजुर्ग आदमी दिनभर चिंतित रहा। उसे प्रश्न का उत्तर नहीं मिल रहा था। बुजुर्ग आदमी की एक बहुत ही सुंदर और बुद्धिमान बेटी थी। उसका नाम रानी था। उसने अपने पिताजी की चिंता का कारण पूछा। बुजुर्ग आदमी ने अपनी बेटी रानी को सारी बात बता दी। रानी ने तुरंत उस उत्तर को अपने पिताजी के कान में फुस-फुसाया। बुजुर्ग आदमी अगली सुबह मुखिया के पास गया।

मुखिया बोला- क्या तुम्हें मेरे प्रश्न का उत्तर मिल गय।
बुजुर्ग बोला- हां मुखिया जी, आपके प्रश्न का उत्तर है, “समय”।

क्योंकि हमारे पास यह कभी भी पर्याप्त नहीं होता है। यह हमेशा बहुत तेज चलता है। हम जो करना चाहते हैं उसे करने के लिए कभी भी पर्याप्त समय नहीं होता है।

बुद्धिमान पत्नी: बुजुर्ग आदमी का जवाब सुनकर मुखिया प्रसन्न हो गया और चकित भी रह गया। मुखिया ने शक जाहिर कर कहा- क्या तुमने खुद इसका उत्तर ढूंढा है या किसी ने तुम्हारी मदद की है? आपको यह उत्तर किसने बताया? मुझे सच-सच बताइए। यदि आप सच नहीं बताएंगे तो मैं आप को दंड दूंगा। बुजुर्ग आदमी दंड का नाम सुनकर डर गया। वह बोला मालिक आपके प्रश्न का उत्तर मेरी बेटी रानी ने बताया है। वह बहुत ही बुद्धिमान लड़की है।

मुखिया मन-ही-मन सोचने लगा कि उसे ऐसी बुद्धिमान लड़की से अवश्य मिलना चाहिए। मिलने से पहले मुखिया ने बुजुर्ग को जीत की बधाई दी। मुखिया ने बुजुर्ग व्यक्ति से कहा कि उसे उसकी बेटी रानी से यथाशीघ्र मिलना है। कुछ ही समय बाद बुजुर्ग आदमी ने अपनी बेटी को मुखिया के सामने हाजिर कर दिया।

मुखिया उसकी बुद्धि तथा सुंदरता से प्रभावित हो गया। मुखिया ने बुजुर्ग के सामने उससे उसकी बेटी का हाथ मांगा। मुखिया बोला- वह रानी से शादी करना चाहता है। बुजुर्ग ऐसा प्रस्ताव सुनकर प्रसन्न हो गया। वह तुरंत इसके लिए राजी हो गया।

वैसे तो मुखिया बहुत प्रसन्न था। मगर उसे ऐसी बुद्धिमान पत्नी होने की भी चिंता थी। वह यह नहीं चाहता था कि उसकी पत्नी उसके सामने लाई गई समस्याओं में हस्तक्षेप करें। मुखिया अपनी बुद्धिमत्ता का शोहरत किसी के साथ साझा नहीं करना चाहता था। यहां तक कि अपनी पत्नी से भी नहीं। वह लोगों से अपनी पत्नी के साथ तुलना नहीं करवाना चाहता था।

मुखिया ने बुजुर्ग की बेटी रानी से कहा- मेरे घर में सब कुछ तुम्हारा है। मेरे पास आपके लिए केवल एक नियम है। नियम यह है कि मेरे सामने लाई गई समस्याओं में कभी भी खुद को शामिल नहीं करना है। यदि आप इस नियम के खिलाफ जाएंगी तो मैं आपको आपके पिताजी के घर भेज दूंगा।

मुखिया की पत्नी रानी उसकी आज्ञा पर मुस्कुराई। काफी समय तक सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहा। मुखिया हमेशा की तरह लोगों की समस्या सुनते रहे और उसका हल निकालते रहें। एक दिन मुखिया ने अपनी एक पहेली दो लड़कों को सुलझाने के लिए दिया। जो आपस में एक खेत के टुकड़े को पाने के लिए झगड़ा कर रहे थे।

मुखिया की पत्नी को स्पष्ट पता चल रहा था कि खेत किस लड़के का था। क्योंकि जिस लड़के का खेत था, वह अपने खेत के लिए ज्यादा चिंतित लग रहा था। मुखिया ने अपने आदत के अनुसार अजीब तरीके का हल निकाला। वह दोनों लड़कों को एक-एक मुर्गी दिया और कहा जो भी दोनों में से कल तक मेरे हाथ में मुर्गी का अंडा देगा वह खेत का मालिक होगा।

मुखिया की पत्नी उस लड़के की मदद करना चाहती थी। जो वास्तव में उसका मालिक था। रानी यह जानती थी कि वह अपने नियम के विरुद्ध जा रही है। फिर भी वह गरीब की मदद करना चाहती थी।

बुद्धिमान पत्नी: उसने उस लड़के को कहा- कुछ चावल मुखिया के पास ले जाओ। उनसे कहो कि आप इसे आज लगाइए ताकि सुबह में अपने मुर्गी को खिलाने के लिए चावल ले जा सकूं। लड़का चावल लेकर मुखिया के पास दौड़ा। उसने ठीक वही कहा जो उसे बताया गया था। मुखिया उसका यह बर्ताव देखकर गुस्सा हो गया। मुखिया बोला- ऐसा करने के लिए तुम्हें यह किसने बताया। वह लड़का डरते हुए बोला- यह मेरे अपने शब्द हैं। मेरे अपने विचार हैं।

मुखिया ने चेतावनी दी यदि तुम सच नहीं बोल रहे हो तो मैं तुम्हें दंड दूंगा। लड़का रोने लगा। वह उसकी पत्नी का नाम बता दिया। उसने कहा आपकी पत्नी ने ऐसा करने के लिए कहा था।

मुखिया क्रोधित होकर अपनी पत्नी को पास बुलाया और डांटा। मुखिया ने कहा कि उसने नियम को तोड़ा है। इसलिए अब तुम अपने पिताजी के घर लौट जाओ। मुखिया की पत्नी ने कहा- क्या मैं अपने पिता के घर जाने से पहले एक अंतिम बार आपके लिए भोजन बना सकती हूं। एक इच्छा यह है कि जो मेरा यहां पसंदीदा चीज है क्या वह मैं ले जा सकती हूं?

मुखिया ने “हाँ” में जवाब दिया। जो चाहो बनाओ, जो चाहो ले जाओ, मगर आज की रात आपकी यहाँ आखिरी रात होगी।

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पत्नी रानी मुखिया का पसंदीदा भोजन तैयार किया। उसने बड़ी मात्रा में ताड़ की शराब के साथ परोसा। भोजन समाप्त होने से पहले मुखिया बहुत नशे में हो गया और चुपचाप सो गया। पत्नी की योजना ने ठीक उसी तरह काम किया जैसा उसने आशा की थी। उसकी पत्नी ने कुछ लोगों की मदद से मुखिया को अपने पिताजी के घर ले गई। उसने उसे बिस्तर पर लिटा दिया। सुबह होते ही मुखिया की आवाज पूरे घर में गूंज उठी। मैं कहाँ हूं? मैं कहाँ हूं?

उसकी पत्नी उसके पास आई और मुस्कुरा दी। आपने कहा था कि मैं आपके घर से जो चाहूं ले जा सकती हूं। मैं आपको चाहती थी। इसलिए मैं आपको अपने साथ ले आई।

बुद्धिमान पत्नी: मुखिया ने कहा आप निःसंदेह एक बुद्धिमान महिला है। वह मुस्कुराया और अपने साथ घर लौटने को कहा। कोई मूर्ख ही ऐसी पत्नी को घर से निकालेगा।
इसलिए बुद्धिमान लोगों की हमेशा कद्र करनी चाहिए।
उससे ईर्ष्या कर उससे कटुता नहीं रखना चाहिए।

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