अँगूठी चोर और तेनालीराम की कहानी : विजयनगर राज्य के महाराजा कृष्ण देव राय को बहुमूल्य रत्नों से जड़ित आभूषण पहनना पसंद था। उन्हीं आभूषणों में से एक आभूषण अँगूठी थी। जिसे वे अपने उंगलियों में पहनते थे। वह अँगूठी कीमती रत्न से निर्मित थी और राजा को बहुत पसंद था। वह अँगूठी राजा कृष्णदेव राय के दिल के बहुत ही करीब था।
अँगूठी चोर और तेनालीराम की कहानी
राजा कृष्णदेव राय को उस अँगूठी को पहनकर राज दरबार में जाना बहुत अच्छा लगता था। राजा को दरबार में उस अँगूठी की सुंदरता और गुणों की बखान करना बहुत अच्छा लगता था।
एक बार की बात है। राजा कृष्णदेव राय बहुत ही चिंतित और उदास सा चेहरा लेकर अपने दरबार में उपस्थित हुए सभी दरबारियों के साथ-साथ तेनालीराम ने भी उनका वह परेशान और दुखी चेहरा देखा। तेनालीराम ने राजा से उनके दुख का कारण यह सोच कर पूछा कि शायद वह राजा की चिंता को दूर कर सके। हिंदी कहानी – मनुष्य का सांसारिक भ्रम
तेनालीराम के पूछने पर राजा ने बताया कि उनका बेहद प्रिय अँगूठी चोरी हो गई है। साथ ही साथ राजा ने यह भी बताया कि हो-न-हो उन की अँगूठी उनके अंगरक्षको में से ही किसी ने चुराई है।
राजा को ज्ञात था, कि उनके खुद की सुरक्षा के साथ-साथ महल की सुरक्षा का इंतजाम इतना पुख्ता है कि कोई भी संदिग्ध व्यक्ति उनके आसपास भी नहीं आ सकता है। इसलिए उन्हें अपने अंग रक्षकों पर शक करना अनिवार्य हो जाता है। हिंदी मात्रा | Hindi Matra
तेनालीराम कुछ विचार कर तुरंत महाराज को कहा कि मैं अँगूठी चोर को बहुत जल्द पकड़ लूंगा। तेनालीराम के इतना कहते ही राजा कृष्णदेव राय को बहुत प्रसन्नता हुई कि उनकी खोई हुई अँगूठी उन्हें पुनः प्राप्त हो जाएगी। राजा कृष्णदेव राय के बारह अंगरक्षक थे। उन्होंने सभी को दरबार में उपस्थित होने की आज्ञा दी। आज्ञा मिलते ही वे सभी बारह अंगरक्षक दरबार में उपस्थित हो गए।
तेनालीराम ने सभी अंग रक्षकों से कहा कि राजा कृष्णदेव राय की अति प्रिय अँगूठी चोरी हो गई है। महाराज को शक है कि उस अँगूठी की चोरी को आप सभी अंगरक्षको में से ही किसी ने अंजाम दिया है। मैं अँगूठी की चोरी का पता तुरंत लगा लूंगा। इसलिए जो चोरी की है, वह आगे आ जाएं नहीं तो उन्हें सख्त सजा राज दरबार की ओर से दी जाएगी। भाषा किसे कहते हैं? Language Definition in HIndi
अंगरक्षको में से किसी ने भी सजा के डर से स्वीकार नहीं किया की चोरी उसने की है। तेनालीराम ने फिर बोला ठीक है, तो अब आप सभी अंगरक्षक काली माँ के मंदिर चलिए मेरे साथ। वही अब दूध का दूध और पानी का पानी होगा। तेनालीराम के साथ सभी अंगरक्षक मंदिर पहुंचे। मंदिर पहुंचने के बाद तेनालीराम ने मंदिर के पुजारी को एक छोटा सा कार्य करने को कहा।
इसके बाद तेनालीराम ने सभी अंग रक्षकों को मंदिर में जाकर एक-एक करके माँ काली के पैर स्पर्श करने को कहा। सभी अंगरक्षक बारी-बारी से माँ काली के पैर स्पर्श करने के बाद आते, तो तेनालीराम उनके हाथ को सूँघते और उन्हें एक किनारे खड़े हो जाने को कहते। तेनालीराम ने कहा ऐसा करने से माँ काली मेरे सपने में आकर सही चोर का नाम बताएंगी और निर्दोष बच जाएंगे। इस प्रकार सभी अंगरक्षक माँ काली के पैर स्पर्श करके एक कतार में खड़े हो गए।
वही मंदिर में खड़े महाराज को यह बात बड़ी विचित्र लग रही थी और मन-ही-मन खीझ रहे थे कि तेनालीराम यह क्या कर रहे हैं। विद्वान तेनालीराम महाराज के चेहरे को पढ़ लिया था, कि वे क्या सोच रहे हैं। महाराज और ज्यादा परेशान ना हो इसलिए तेनालीराम तपाक से चोर के बारे में बता दिया कि कतार में खड़े सातवें स्थान का अंगरक्षक ही चोर है। सातवें स्थान का अंगरक्षक अपनी ओर इशारा होते ही भागने लगा, तो वहां पर उपस्थित राजा के सिपाही तुरंत उसे पकड़ लिया और बंदी गृह में डाल दिया। हिंदी कहानी – तालाब की परी
माँ काली के सपने में आए बिना तेनालीराम ने चोर का पता लगा लिया था। महाराज ने उत्सुकता वश तेनालीराम से पूछा, तो उन्होंने बोला कि मैं पहले से ही मंदिर के पुजारी को यह बता दिया था, कि वह माँ काली के चरणों में सुगंधित पदार्थ से लेप कर दे। जिसकी वजह से जो अंगरक्षक माँ के चरण स्पर्श किए। उनके हाथ सुगंधित हो गए। मगर जो अंगरक्षक अँगूठी की चोरी किया था, वह सजा के डर से चरण स्पर्श नहीं किया। इसलिय उसके हाथ सुगंधित नहीं हुए और वह अपनी ही चालाकी में फस गया। इससे साबित हो गया कि चोर वही अंगरक्षक है जिसका हाथ सुगंधित नहीं हुआ। हिंदी कहानी – नदी और पहाड़
तेनालीराम ने हमेशा की तरह इस बार भी अपनी बुद्धि से चोर का पता कर लिया और महाराज के दिल में बस गए। महाराज प्रसन्न होकर उन्हें स्वर्ण मुद्राएं प्रदान किए है।